Sri Sri Thakur Anukul Chandra
Friday, September 12, 2008
सुख और भोग
सुख का अर्थ वही है
जो being को (सत्ता या जीवन को)
सुस्थ, सजीव और उन्नत कर
पारिपार्श्विक को उस प्रकार बना दे, --
और प्रकृत भोग
तभी वहाँ उसे
अभिनंदित करता है। 4
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