Sri Sri Thakur Anukul Chandra
Friday, September 12, 2008
व्यवसाय का व्यवहार
मनुष्य के साथ खूब प्रीति-मधुर व्यवहार करो। चेष्टा करो, किस तरह से मनुष्य को कितने कम पैसे में अच्छी चीज दे सकते हो। और, मूलधन में कभी भी हाथ मत लगाओ। मूलधन लक्ष्मी का आसन होता है। उसमें योग करोगे, किंतु उसमें से एक पैसा भी खर्च नहीं करोगे।
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