सर्वप्रथम हमें दुर्बलता के विरुद्ध युद्ध करना होगा। साहसी बनना होगा, वीर बनना होगा। पाप की ज्वलंत प्रतिमूर्ति है वह दुर्बलता। भगाओ, जितना शीघ्र सम्भव हो, रक्तशोषणकारी अवसाद-उत्पादक Vampire को। स्मरण करो तुम साहसी हो, स्मरण करो तुम शक्ति के तनय हो, स्मरण करो तुम परमपिता की संतान हो। पहले साहसी बनो, अकपट बनो, तभी समझा जाएगा, धर्मराज्य में प्रवेश करने का तुम्हारा अधिकार हुआ है।
तनिक-सी दुर्बलता रहने पर भी तुम ठीक-ठीक अकपट नहीं हो सकोगे और जब तक तुम्हारे मन-मुख एक नहीं होते तब तक तुम्हारे अन्दर की मलिनता दूर नहीं होगी।
मन-मुख एक होने पर भीतर मलिनता नहीं जम सकती- गुप्त मैल भाषा के जरिये निकल पड़ते हैं। पाप उसके अन्दर जाकर घर नहीं बना सकता !
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