Sri Sri Thakur Anukul Chandra
Tuesday, September 16, 2008
चाह की विलासिता
जभी देखो-
तुम्हारे
वाक्, व्यवहार, चलन, चरित्र और लगे रहना
तुम्हारी चाह को
जिस प्रकार परिपूरित कर सकते हैं--
उसे सहज रूप से अनुसरण नहीं कर रहे हैं; --
निश्चय जानो --
तुम्हारी चाह खांटी नहीं है--
चाह की केवल विलासिता है । 11
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