Saturday, September 13, 2008

मेरी बातें

"मेरी बातें यदि तुम्हारे लिए--
कथनी व चिंता का सिर्फ़ खुराक भर रहे--
करनी एवं आचरण में
उन सबों को यदि--
वास्तव में प्रस्फुटित न कर सके--
तो--
तुम्हारी प्राप्ति
तमसाच्छन्न रह जायेगी--
वह किंतु अतिनिश्चय है।--
तुम्हारा "मैं"
श्री श्री ठाकुर

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